बोलती तस्वीरें...

बोलती तस्वीरें.... !!!
पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर कुछ फोटो देखने में आये हैं जो अपने आप बोलने में सक्षम हैं और हर तस्वीरें कही न कही आजकल की राजनीति का चेहरा दर्शाती हैं।
राजनीति का अर्थ उसके शब्द में ही झलकता हैं, "राज करने की नीति"।
पर आज के समय में राजनीति जैसे सिर्फ धर्म की, समाज की, जातियों की, चापलूसों की, चाटुकारिता की ही हो गयी हैं।  यह जो ऊपर लिखा है इसमें से एक भी राजनीति में नहीं आना चाहिए बल्कि धर्म के उत्थान की, समाजो के कल्याण की, भुखमरी की, बेरोजगारी इत्यादि की होना चाहिए। 

विचारणीय हैं राम मंदिर के नाम से, गौ माता के नाम से, और अब तो भगवान् हनुमान भी इसमें लपेटे हुए दिख रहे हैं। दलित, जाट, जैन, मुस्लिम और ना जाने कौन-कौन सी जाती रूपी मोतियों की माला भगवान् हनुमान को अर्पण कर दी गयी हैं।





मुझे नहीं पता की यह फोटो कबक़े हैं। पर आज भी ऐसे दृश्य देखने को मिलना सामान्य बात हैं। देखकर मन में सिर्फ एक ही प्रश्न आता हैं। क्या सही में मेरा देश बदल  रहा हैं ?

यह दोनों फोटो ही बोलते हुए फोटो हैं। देखते ही समझ आ रहे हैं। 
इन दोनों फोटो को देखकर बस यही मन में आता की हमारे देश के नेता अगर किसी के गोत्र के पीछे, किसी के माँ-बाप के पीछे, किसी के परिवार के पीछे, किसी के धर्म के पीछे, किसी भेदभाव से परे, किसी से तुलना करने की जगह, अगर जिसकी वाकई में जरुरत हैं उसपर ध्यान दे तो शायद किसी को फेसबुक पर यह फोटो अपलोड करके यह नहीं बोलना पड़ेगा की अगर ऐसा कोई दिखे तो उनसे कुछ खरीद जरूर लेना। 

पर पूरा ढांचा की कमजोर हैं। 
देश का पेट भरने वाला आज सड़क पर अपना हक़ मांग रहा, भी राजनीति गरमा रही। 
आये दिन जवान शहीद हो रहे पर नेताए वह जाकर एक दूसरे की तारीफ़ में पुल बाँध रहे। 
जितने भी मंत्री संत्री हैं उनको यह फ़िक्र नहीं की उनके विशेष मंत्रालय में कितना क्या काम हो रहा, उनको यह फ़िक्र है की किसी व्यक्ति के दादा की क्या जाति थी, किसका क्या गोत्र हैं या कौन अपनी माँ को लेकर कितना झूठ बोल रहा ?
शर्मनाक है यह....!!!
जो हिन्दुस्तान विभिन्न जातियों, समाजों, संस्कृतियों के लिए दुनिया में अपना विशेष स्थान रखता हैं आज राजनीति में उनको ही अस्त्र बनाकर एक दूसरे पर छोड़ा जा रहा हैं। 
और अगर इसमें कोई पिस रहा हैं तो वो हैं जनता। 
लोकतांत्रिक देश अथवा लोकतंत्र की परिभाषा दिन-ब-दिन बदल रही हैं।
अब जरा इन दो CMIE और Azim  Premji  University रिपोर्ट् पर भी ध्यान दीजिये। 



किसी व्यक्ति विशेष, या किसी राजनितिक पार्टी से परे एक बार सोचकर देखिये और खुद ही निर्णय लीजिये की क्या सच में राजनीति का स्तर इतना गिर गया हैं ?

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