एक और निर्भया ...
और एक बार फ़िर मशाल लगेगी, मोमबत्तियां जलेगी, राजनीतिक रोटियां सिकेंगी, लिपा-पोती होगी, आनन-फानन में तबादले, सरकारी आश्वासन, मुआवजे, जस्टिस इत्यादि। घटना हाथरस (यू.पी) की हैं जहां 20 साल की लड़की को निर्भया की भांति तड़पाया गया। यह सब आज और कल की घटना नहीं है बल्कि 15 दिन पुरानी हैं और इन सब में सबसे बड़ी बात यह कि जिसे हम लोकतंत्र का चौथा स्तंभ का दर्जा देते हैं, वो पिछले 15 दिन से स्पेशल कवरेज सिर्फ ज्वलंत मुद्दा जो देश को दिखाना बहुत जरूरी है चाहे वो दीपिका पादुकोण के 'माल है क्या' हो या पायल घोष की आवाज़ को दिखाना हो। अगर यही घटना कुछ दिन पहले मीडिया पर ही दिखाई गई होती तो शायद समय पर इलाज और इंसाफ दोनों मिल जाए और मासूम की जिंदगी बच जाती। अब जरूर जहां-जहां प्रदर्शन होंगे चाहे वो दिल्ली हो या हाथरस या अन्य कोई जगह सब जगह से ग्राउंड रिपोर्ट और स्पेशल कवरेज हमारी थाली में परोसा जाएगा। चुनाव के दिनों में हर ज़िले हर कस्बे से रिपोर्ट पेश की जाती हैं, फिर यह क्यों नहीं? क्या बॉलीवुड का ड्रग्स कनेक्शन के अलावा भी देश में कोई मुद्दा नहीं बचा? न्यूज़ में भी अभी हेडलाइन में लड़की के...