कुंभ 2019

अभी महाशिवरात्रि पर प्रयागराज में अर्धकुम्भ का समापन हुआ। इस कुंभ में लगभग 25 करोड़ लोगो ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मुझे याद है 2016 में जब उज्जैन में सिंहस्थ था, तब उसके समापन के बाद नानाजी से सिंहस्थ से जुडी कुछ बात कर रहा था, तब उन्होंने एक कविता सुनाई। सिंहस्थ साधु-संतो का त्यौहार हैं, अलग अलग अखाड़ों से साधु आते हैं, सब अपनी मस्ती में मस्त। उनके विभिन्न प्रकार के रूप देखने को मिलते हैं, इसपर नानाजी ने जो बताया वो आज भी याद हैं, आज उनकी याद आयी तो यह कविता याद आयी। वें बोलें :- नख बिन कटा देखें, शीश भारी जटा देखें, साधु कन फटा देखें, छार लगाए तन में, मौनी अनमोल देखें, सेवड़ा सिरछौल देखें, करत तपस्या देखें, वनखंडी वन में, शूर देखें, वीर देखें, सब धनी और कूर देखें, माया के पूर देखें, जो भूल रहें हैं धन में, आदि अनंत सुखी देखें, जन्मों के दुखी देखें, पर साधु वो नहीं देखें, जिनके लोभ नहीं मन में...