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Showing posts from March, 2019

कुंभ 2019

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अभी महाशिवरात्रि पर प्रयागराज में अर्धकुम्भ का समापन हुआ। इस कुंभ में लगभग 25 करोड़ लोगो ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मुझे याद है 2016 में जब उज्जैन में सिंहस्थ था, तब उसके समापन के बाद नानाजी से सिंहस्थ से जुडी कुछ बात कर रहा था, तब उन्होंने एक कविता सुनाई। सिंहस्थ साधु-संतो का त्यौहार हैं, अलग अलग अखाड़ों से साधु आते हैं, सब अपनी मस्ती में मस्त। उनके विभिन्न प्रकार के रूप देखने को मिलते हैं, इसपर नानाजी ने जो बताया वो आज भी याद हैं, आज उनकी याद आयी तो यह कविता याद आयी। वें बोलें :- नख बिन कटा देखें, शीश भारी जटा देखें, साधु कन फटा देखें, छार लगाए तन में, मौनी अनमोल देखें, सेवड़ा सिरछौल देखें, करत तपस्या देखें, वनखंडी वन में, शूर देखें, वीर देखें, सब धनी और कूर देखें, माया के पूर देखें, जो भूल रहें हैं धन में, आदि अनंत सुखी देखें, जन्मों के दुखी देखें, पर साधु वो नहीं देखें, जिनके लोभ नहीं मन में...

न स्त्रीरत्नसमं रत्नम

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आज कुछ पोस्ट देख रहा था उसमें बहुत अच्छी बात पढ़ने में आयीं कीं जब आप एक लड़के को शिक्षित बनाते हों तो उसकी शिक्षा उस तक हीं सीमित रहती हैं, पर जब एक लड़की को शिक्षित बनाते हों तो पूरी एक पीढ़ी को शिक्षित बनाने के समान हैं। वाक़ई में नारी ईश्वर कीं वो सुंदर रचना हैं जिसकी किसी से तुलना करने का सोच भी नहीं सकते। हर एक किरदार को बख़ूबी सिर्फ़ एक महिला हीं निभा सकती हैं। किरदार से मतलब चाहे माँ का रूप हों, बहन का प्यार हों, बेटी की किलक़िलाहट हों... मनुस्मृति में लिखा है:- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवत:। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।। (मनुस्मृति 3/56) अर्थात् जहाँ स्त्रियों का आदर किया जाता है, वहाँ देवता रमण करते हैं और जहाँ स्त्री का अनादर होता है, वहाँ सब कार्य निष्फल होते हैं। और अभी से नहीं, पुराणो से स्त्री को पहले स्थान पर दर्जा दिया गया हैं। सीता-राम, राधा-कृष्ण। नारी को शक्ति का रूप भी कहा गया हैं, शक्ति बिन तो आदिदेव शिव भी अधूरे हैं। देखा जाए तो हर चीज़ नारी से जुड़ी हैं या यह बोल सकते कीं उसके बिना अधूरी हैं:- जल, जीवन, प्रकृ...